Ved Puran Shashtra

Vaastu Shastra वास्तु शास्त्र

Vastu Shastra

वास्तु शास्र का परिचय: वास्तुशास्त्र का ज्ञान हमें ऋग्वेद, युववेद, सामवेद और अथवेद सहित पुराणों और अन्य ग्रंथों से मिलता है। लेकिन वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का उल्लेख सबसे पहले ऋग्वेद में मिलता है। इन चारों वेदों की उत्पत्ति ब्रह्मा के चार मुखों से हुई है। इन चार वेदों के बाद चार उपवेद भी लिखे […]

Vastu Shastra Read More »

Kartik Maas कार्तिक मास

कार्तिक मास: एक पवित्र यात्रा कार्तिक मास, हिंदू कैलेंडर का आठवां महीना, गहन आध्यात्मिक महत्व और भक्ति का समय है। इसे दामोदर माह के नाम से जाना जाता है और धर्मग्रंथों में इसकी पवित्रता को अद्वितीय बताया गया है। यह लेख कार्तिक मास की पवित्रता और रीति-रिवाजों की पड़ताल करता है, आध्यात्मिक जागृति, उपवास और

Kartik Maas कार्तिक मास Read More »

Om ओम (ॐ)

Om ओम(ॐ)

माण्डूक्य उपनिषद् में कहा गया है- युंजीत प्रणवे चेतः प्रणवो ब्रह्म निर्भयम् । प्रणवे नित्ययुक्तस्य न भयं विद्यते क्वचित् ॥ माण्डूक्य उप. आगम प्रकरण 25 अर्थात् चित्त को ॐ में समाहित करो। ॐ निर्भय ब्रह्मपद है। ॐ में नित्य समाहित रहने वाले पुरुष को कहीं भी भय नहीं होता। भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा है- ओमित्येकाक्षरं

Om ओम(ॐ) Read More »

सुंदरकांड Sunderkand

Sunderkand सुंदरकांड

सुंदरकांड श्रीरामचरितमानस रूप भगवान् श्रीराम के शब्द विग्रह की सुंदर ग्रीवा है। सुंदरकांड में तीन श्लोक, छह छंद, साठ दोहे तथा पांच सौ छब्बीस चौपाइयां हैं। साठ दोहों में से प्रथम तीस दोहों में रुद्रावतार श्री हनुमान जी के चरित्र तथा तीस दोहों में विष्णु स्वरूप राम के गुणों का वर्णन है। सुंदर शब्द इस

Sunderkand सुंदरकांड Read More »

swastik

Swastik स्वस्तिक

स्वस्तिक चिह्न का अर्थ शास्त्रों में स्वस्तिक को भगवान श्री गणेश का प्रतीक माना जाता है। इसलिए पूजा में जिस तरह इन्हें सबसे पहले पूजा जाता है उसी तरह स्वस्तिक को मंगल कार्य शुरू करने से पहले बनाया जाता है। स्वस्तिक शब्द तीन भिन्न शब्दों के मेल से बना है। ‘सु’ का अर्थ शुभ है,

Swastik स्वस्तिक Read More »

Kumbh Mela कुंभ मेला

Kumbh Mela कुंभमेला

कुंभ का पौराणिक महत्व समुद्र मंथन की कहानी पर केंद्रित है, जो देवताओं और राक्षसों द्वारा अमूल्य रत्न, या गहने, और अमरत्व का अमृत प्राप्त करने के लिए किया गया था। नागराज वासुकि ने रस्सी का काम किया और मंदराचल पर्वत ने मंथन की छड़ी का काम किया। मंदराचल पर्वत को सहारा देने के लिए,

Kumbh Mela कुंभमेला Read More »

Parikrama देव मूर्ति की परिक्रमा का महत्व

देव मूर्ति की परिक्रमा का महत्व: धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व Introduction देव मूर्ति की परिक्रमा का महत्व हिन्दू धर्म में गहन मान्यताओं और परंपराओं का हिस्सा है। यह एक पूजा प्रथा है जिसमें विशिष्ट देवी-देवताओं की मूर्ति को घेरा जाता है और परिक्रमा की जाती है। इस प्रथा का महत्व धार्मिक और आध्यात्मिक संबंधों के

Parikrama देव मूर्ति की परिक्रमा का महत्व Read More »

Gau Seva

Gau Seva गौ सेवा

गौ सेवा का धार्मिक महत्त्व क्यों हिंदू धर्म में गाय को देवता और माता के समान मानकर उसकी सेवा-शुश्रूषा करना मनुष्य का मुख्य धर्म माना गया है, क्योंकि उसके शरीर में सभी देवता निवास करते हैं। कोई भी धार्मिक कृत्य ऐसा नहीं है, जिसमें गौ की आवश्यकता नहीं हो। फिर चाहे वह यज्ञ हो, पोडश

Gau Seva गौ सेवा Read More »

Kalava Mauli

Kalava Mauli कलावामौली

कलावा / मौली का अर्थ इसका वैदिक नाम उप मणिबंध भी है। ‘मौली’ का शाब्दिक अर्थ है ‘सबसे ऊपर’। मौली का तात्पर्य सिर से भी है। मौली को कलाई में बांधने के कारण इसे कलावा भी कहते हैं। मौली के भी प्रकार हैं। शंकर भगवान के सिर पर चन्द्रमा विराजमान है इसीलिए उन्हें चंद्रमौली भी

Kalava Mauli कलावामौली Read More »

Swaha Devi स्‍वाहा देवी

Swaha Devi स्‍वाहादेवी

स्वाहा को संस्कृत में स्व: लिखा जाता है। इसका हिंदी में अर्थ होता है स्वर्ग लोक। अर्थात स्वर्ग के समान सुख की प्राप्ति हेतु आहुति के समय स्वाहा का उच्चारण किया जाता है। स्वाहा देवी पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्वाहा दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं। इनका विवाह अग्निदेव के साथ किया गया था। अग्निदेव अपनी पत्नी स्वाहा

Swaha Devi स्‍वाहादेवी Read More »