दीपावली पर “लक्ष्मी पूजन” क्यों होता है श्री राम की पूजा क्यों नही
प्रश्न: “जब दीपावली भगवान राम के १४ वर्षो के वनवास से अयोध्या लौटने के उतसाह में मनाई जाती है, तो दीपावली पर “लक्ष्मी पूजन” क्यों होता है? श्री राम की पूजा क्यों नही?”
उत्तर: “दीपावली उत्सव दो युग “सतयुग” और “त्रेता युग” से जुड़ा हुआ है!”
“सतयुग में समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी उस दिन प्रगट हुई थी! इसलिए “लक्ष्मी पूजन” होता है! भगवान श्री राम भी त्रेता युग मे इसी दिन अयोध्या लौटे थे! तो अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था! इसलिए इसका नाम दीपावली है! इसलिए इस पर्व के दो नाम हैं, “लक्ष्मी पूजन” जो सतयुग से जुड़ा है, और दूजा “दीपावली” जो त्रेता युग प्रभु श्री राम और दीपो से जुड़ा है!
प्रश्न: लक्ष्मी और श्री गणेश का आपस में क्या रिश्ता है? और दीपावली पर इन दोनों की पूजा क्यों होती है?
उत्तर: लक्ष्मी जी जब सागर मन्थन में मिलीं और भगवान विष्णु से विवाह किया तो उन्हें सृष्टि की धन और ऐश्वर्य की देवी बनाया गया! तो उन्होंने धन को बाँटने के लिए प्रबंधक कुबेर को बनाया! कुबेर कुछ कंजूस वृति के थे! वे धन बाँटते नहीं थे, स्वयं धन के भंडारी बन कर बैठ गए! माता लक्ष्मी परेशान हो गई! उनकी सन्तान को कृपा नहीं मिल रही थी! उन्होंने अपनी व्यथा भगवान विष्णु को बताई! भगवान विष्णु ने उन्हें कहा, कि “तुम प्रबंधक बदल लो!”
माँ लक्ष्मी बोली, “यक्षों के राजा कुबेर मेरे परम भक्त हैं! उन्हें बुरा लगेगा!” तब भगवान विष्णु ने उन्हें श्री गणेश जी की दीर्घ और विशाल बुद्धि को प्रयोग करने की सलाह दी!
माँ लक्ष्मी ने श्री गणेश जी को “धन का बांटनेवाला” बनने को कहा! श्री गणेश जी ठहरे महा बुद्धिमान! वे बोले, “माँ, मैं जिसका भी नाम बताऊंगा, उस पर आप कृपा कर देना! कोई किंतु, परन्तु नहीं! माँ लक्ष्मी ने हाँ कर दी!
अब श्री गणेश जी लोगों के सौभाग्य के विघ्न/रुकावट को दूर कर उनके लिए धनागमन के द्वार खोलने लगे! कुबेर भंडारी ही बनकर रह गए! श्री गणेश जी पैसा देने वाले बन गए!
गणेश जी की उदारता देख, माँ लक्ष्मी ने अपने मानस पुत्र श्री गणेश को आशीर्वाद दिया कि जहाँ वे अपने पति नारायण के सँग ना हों, वहाँ उनका पुत्रवत गणेश उनके साथ रहें!
दीपावली आती है कार्तिक अमावस्या को! भगवान विष्णु उस समय योगनिद्रा में होते हैं! वे जागते हैं ग्यारह दिन बाद, देव उठावनी एकादशी को!
माँ लक्ष्मी को पृथ्वी भ्रमण करने आना होता है शरद पूर्णिमा से दीवाली के बीच के पन्द्रह दिनों में तो वे संग ले आती हैं श्री गणेश जी को! इसलिए दीपावली को लक्ष्मी-गणेश की पूजा होती है!
इस लेख को पढ़ कर स्वयं भी लाभान्वित हों, अपनी अगली पीढी को बतायें !